विश्व वानिकी दिवस पर शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में वनौषधीय पौधों के महत्व पर व्याख्यान आयोजित
जगदलपुर inn24 (रविंद्र दास)शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने संयुक्त रूप से वानिकी दिवस का आयोजन किया। विश्वविद्यालय के वानिकी एवं वन्य जीव अध्ययनशाला में इस मौके पर व्याख्यान, क्विज प्रतियोगिता और टेक्निक ऑफ बर्ड वाचिंग जैसे आयोजन किए गए। वनौषधीय पौधों का मानव स्वास्थ्य में भूमिका विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव थे। उन्होने इस दौरान उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि क्लाइमेंट चेंज जैसी वैश्विक समस्याओं पर युवाओं को विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को हर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की समस्याओं के बारे में पता होना चाहिए ताकि वे उसके समाधान की दिशा में काम कर पाएं। उन्होंने कहा कि युवा वनौषधीय पौधों को सहेंजे और उनके संरक्षण के लिए औरों को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी सोच को सीमित दायरे से बाहर निकालते हुए आगे बढऩा चाहिए ताकि वे देश के विकास में अपना योगदान दे पाएं। कुलपति प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि वनौषधीय पौधों का महत्व हमें जानना होगा और उसे अपने दैनिक जीवन में उपयोग में लाते हुए औरों को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा। उन्होंने अलग-अलग वनौषधीय पौधों के बारे में रिसर्च करने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि वन विभाग के रिटायर्ड एसडीओ एलपी सोनी और उद्यानिकी महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक केपी सिंह थे। इस दौरान केपी सिंह ने कहा कि लगातार हो रही पेड़ों की कटाई की वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। यह सभी के लिए चिंतनीय है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि रसायन का अत्यधिक उपयोग होने के कारण हमारी मिट्टी को बहुत नुक्सान पहुंच रहा है। अगर ऐसा ही होता रहा तो जमीन की उर्वरा क्षमता खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इन सारी समस्याओं के समाधान की दिशा में हमें ही काम करना है ताकि हम भविष्य में होने वाली दिक्कतों को अभी ही दूूर कर लें। एलपी सोनी ने कहा कि औषधीय पौधों का उपयोग बहुत पहले से किया जा रहा है। हर युग में हर समय में इसका उपयोग हुआ है। कई ऐसी औषधी है जो अब विलुप्ति हो चुकी हैं या विलुप्ति की कगार पर हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि हमने उनका उपयोग सुनियोजित तरीके से नहीं किया और वह खत्म होती चली गई। औषधीय पौधों को सहेजने के काम में युवाओं को आगे आना चाहिए। इसे लेकर वे जागरूक बनें और समाज को भी जागरूक करें। कार्यक्रम के दौरान रिटायर्ड रेंजर श्री हेमंत ठाकुर एवं श्री बारला द्वारा वनौषधीय पौधों के महत्व के बारे में बताया गया। युगल जोशी, अभ्युत रॉय, सुमन भास्कर द्वारा पक्षियों की पहचान और संरक्षण के संबंध में जानकारी दी गई। व्याख्यान के बाद अध्ययनशाला के छात्रों को बर्ड वाचिंग के लिए फील्ड विजिट करवाया गया। अंत में अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. शरद नेमा ने कहा कि युवा एक लक्ष्य लेकर चलें और ऐसे विषयों को लेकर जागरूक बनें, वनों का महत्व तभी बना रहेगा जब मौजूदा पीढ़़ी इसे सहेजे रखेगी। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कुलसचिव श्री अभिषेक बाजपेयी ने अपनी शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का संचालन अध्ययनशाला के सहायक प्राध्यापक डॉ. विनोद कुमार सोनी ने किया। इस दौरान डॉ. सजीवन कुमार समेत अलग-अलग विभागों के शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।